Sunday, April 7, 2024
Friday, April 5, 2024
Tuesday, March 26, 2024
Sunday, March 24, 2024
Thursday, March 21, 2024
Wednesday, March 20, 2024
Monday, April 17, 2023
Saturday, April 8, 2023
Wednesday, April 5, 2023
"रोजेदार के लिये एक दुआ ऐसी होती है जो रद्द नहीं होती । "
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया
"रोजेदार के लिये रोज़ा खोलते वक़्त एक दुआ ऐसी होती है जो रद्द नहीं होती । "
हज़रत अबदुल्लाह बिन अम्र (रज़ि.) ये दुआ किया करते थे
,"अल्लाहुम्मा इन्नी अस अलुका बिरहमति कल्लत वसीअत कुल्ला शैइन, अन-तगफिल
"ऐ अल्लाह ! मैं तेरी रहमत के ज़रिए सवाल करता हूं, जो हर चीज़ को ढांपे हुए है, कि मुझे माफ़ कर दे।
[सुनन इब्ने माजह: 1753 | हसन ]
Friday, March 31, 2023
Saturday, April 23, 2022
Thursday, April 21, 2022
Wednesday, April 20, 2022
रोज़ा और क़ुरआन क़यामत के दिन बंदे के लिए सिफ़ारिश करेंगे,
रसूल अल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
रोज़ा और क़ुरआन क़यामत के दिन बंदे के लिए सिफ़ारिश करेंगे,
रोज़ा कहेगा :- ए मेरे रब! मैंने इसको खाने पीने और दूसरी ख़्वाहिशात से रोके रखा, पस तू इसके हक़ में मेरी सिफ़ारिश क़ुबूल फ़र्मा,
उधर क़ुरआन कहेगा :- मैंने इसको रात को ना सोने दिया, पस तू इसके हक़ में मेरी सिफ़ारिश कुबूल फ़र्मा । सो उनकी सिफ़ारिश क़ुबूल कर ली जाएगी।
MUSNAD AMHED HADEES NO 6589
NOTE :- कुरान करीम और रोज़ा, दोनों के सिफ़ारिश के अल्फ़ाज़ गौर करें ताकि हम में क़ुरान पर अमल करने, रात को क़याम करने और रोज़ा के तक़ाज़े पूरे करने की रग़बत पूरी हो ।।
Saturday, April 16, 2022
बहोत से ऐसे हैं जिनको रोज़ा और इबादत का नूर हासिल नहीं होता
रसूल अल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
" बहुत से रोज़ा रखने वाले ऐसे हैं कि उनको अपने रोज़े से भूख के सिवा कुछ 99 नहीं हासिल होता, और बहुत से रात में क्याम करने वाले ऐसे हैं कि उनको अपने क़याम से जागने के सिवा कुछ भी हासिल नहीं होता।।”
Ibn e Maja Hadees No 1690
Note:- यानी इनको रोज़ा और इबादत का नूर हासिल नहीं होता, और नइस में लज़्ज़त व बरकत होती है बल्कि रोज़ा और नमाज़ इन पर एक बोझ और तकलीफ है, दिन में भूखा रहना और रात में जागना,
इसी को वह काफी समझते हैं, हालाँकि यह उनकी गलती है, अगर आदाब के साथ और इख्लास (सिर्फ अल्लाह को राज़ी करने के लिए) के मुताबिक इबादत करे और उस वक़्त उनको मालूम हो जाएगा कि रोज़ा और नमाज़ का मक़सद सिर्फ भूखा रहना और जागना नहीं है,
अफसोस है कि हमारे जमाने में ऐसे लोग बहुत हो गए हैं जो रोज़ा और नमाज़ को ज़ाहरी तौर से अदा कर लेते हैं, और इख्लास हासिल नहीं करते, अगचे आवाम के लिए यह भी काफी है, और उम्मीद है कि अल्लाह अपनी मेहरबानी से कुबूल कर ले।