मफ़हूम-ए-हदीस
रसूलअल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) फरमाते है के -
"सलाम में पहल करने वाला घमंड से पाक है"।
(मिश्कत शरीफ़, जिल्ड 2, पेज-684, हदीस-
4434)
* हिक्मत : याद रखिये एक घमंडी इंसान ही दसरो को अपने से कामतर समझौता है
इसलिए वो लोगों से दुआ सलाम करने के लिए उम्मिद करता है के लोग उस से दुआ सलाम में पहल करे..
*और अफ़सोस की बात है! आज मुसलमानों में चांद फिकरी इख्तेलफ की बुनियाद पर दुआ सलाम ना करने की तालीम दी जाती है
गोया उम्मत में इंतेहार फैलाया जा रहा है।
के सलाम मत करो और ना ही सलाम का जवाब दो,.. (सुभानअल्लाह)
जबकी रसूल अल्लाह ने तो सलाम को आम करने की सलाम में पहल करने की तालीम दी उम्मत को..
अल्लाह हम सबको हिदायत दे...
# अब सवाल ये आता है के - क्या सक्दा देने वाला और अल्लाह की राह में शहीद होने वाला घमंद से पाक नहीं होता?
» तू याकीनन याद रखिये सदका खैरत करना और अल्लाह की राह में शहीद होना बोहोत ही बड़ा मरतबा रखना है अल्लाह के नाजदीक...
अगर इस अमल में इखलास हो तो वो अल्लाह के नज़र काबिले काबुल है,..
- और अगर इनमे रिया (दिखावा) शमील हो जाए तो अमल बेकर है,।
#लेकिन सलाम में पहला करने वाला इस लिए घमंद से पाक है
क्यूंकी वो सामने वाले फरिग को अपने से कामतर नहीं समझौता
- तू बेहरहाल हम तमम को चाहिए के -
*जो भी अमल करे इस नियत से करे के अल्लाह के नज़र काबिल-ए-कबूल हो..
*इखलास के साथ और रिया-वा-घमंड से अपनी नियातो को पाक रखते हुए करे। बेशक़ ज़ज़ा और साज़ा देने वाला अल्लाह हम तमम की नियातो से बख़बर है,..
शाअल्लाह-उल-अज़ीज़ में !!! अल्लाह तआला हम कहने सुनने से ज्यादा अमल की तौफीक दे...