Sunday, August 25, 2024

बेवा और मिस्कीन की मदद करने पर सवाब


बेवा और मिस्कीन की मदद करने पर सवाब

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“बेवा और मिस्कीनों की जरुरत पूरी करने वाला, अल्लाह के रास्ते के मुजाहिद की तरह या तो दिन में रोजा रखने वाले और रात भर नमाज़ पढ़ने वाले की तरह है।”

[ बुखारी : ६००६ ]

हज के दौरान गुनाहों से बचना


हज के दौरान गुनाहों से बचना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जिस ने हज के दौरान बीवी से न जिमा किया और न ही किसी छोटे बड़े गुनाह का इर्तिक़ाब किया, तो उसके पिछले सारे गुनाह माफ़ कर दिए जाएंगे।”

[तिर्मिज़ी : 811, अन अबी हरेराह (ऱ.अ)]

एक दूसरी रिवायत में है के वह शख्स हज से ऐसा वापस होता है जैसा उस दिन था जिस दिन मां के पेट से निकला था।

[बुखारी : 1820, अन अबी हुरैरह (ऱ.अ)]

इल्म हासिल करना फ़र्ज़ है




इल्म हासिल करना फ़र्ज़ है


रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्मायाः

"इल्म हासिल करना हर मुसलमान पर फर्ज है।”

[इब्रे माजा: 224, अन अनस बिन मालिक (र.अ) ]

सफा और मरवाह की सई करना



सफा और मरवाह की सई करना


रसूलुल्लाह (ﷺ) (सफ़ा और मरवाह) की सई करते हुए सहाबा से फर्मा रहे थे के सई करो, क्योंकि अल्लाह तआला ने सई को तुम पर लाज़िम करार दिया है।

[मुस्नदे अहमद : 26821, अन हबीबा बिन्ते तजज़ा (ऱ.अ)]

इस्लाम की बुनियाद




इस्लाम की बुनियाद

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : इस्लाम की बुनियाद पांच चीज़ों पर है :

(1) इस बात की गवाही देना के अल्लाह के अलावा कोई माबूद नहीं और मोहम्मद (ﷺ) अल्लाह के रसूल है। (2) नमाज़ अदा करना। (3) ज़कात देना। (4) हज करना। (5) रमज़ान के रोजे रखना।

[बुखारी: 8, अन इने उमर (र.अ)]

मीकात से एहराम बांध कर गुज़रना



मीकात से एहराम बांध कर गुज़रना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

"कोई शख्स बगैर एहराम बांधे हुए मीकात से न गुजरे।"

[मुसनफ़े इब्रे अबी शैवा : 4/509]

फायदा: खान-ए-काबा से कुछ फ़ास्लों पर चंद जगहें हैं जहां से एहराम बांधते हैं इन्हें "मीकात" कहा जाता है। यहां से गुजरते वक्त मक्का से बाहर रहने वालों पर ऐहराम बाँधना लाज़िम है।