मीकात से एहराम बांध कर गुज़रना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
"कोई शख्स बगैर एहराम बांधे हुए मीकात से न गुजरे।"
[मुसनफ़े इब्रे अबी शैवा : 4/509]
फायदा: खान-ए-काबा से कुछ फ़ास्लों पर चंद जगहें हैं जहां से एहराम बांधते हैं इन्हें "मीकात" कहा जाता है। यहां से गुजरते वक्त मक्का से बाहर रहने वालों पर ऐहराम बाँधना लाज़िम है।
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