Monday, September 16, 2024

बदनसीबी की पहचान

दुनिया के बारे में 




बदनसीबी की पहचान

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
चार चीजें बदनसीबी की पहचान है : (1) आँखों का खुश्क होना। (के अल्लाह के खौफ से किसी वक्त भी आँसू न टपके)। (2) दिल का सख्त होना (के आखिरत के लिए या किसी दूसरे के लिए किसी वक्त भी नर्म न पड़े)। (3) उम्मीदों का लम्बा होनाI (4) दुनिया की हिर्स (लालच)।

[तर्ग़ीब व तर्हिब: 4741, अन अनस (र.अ)]



इस हदीस से यह समझ में आता है कि अल्लाह का खौफ, नर्मी, मौत की याद, और दुनिया की मोहब्बत से बचने की कोशिश करनी चाहिए। यह चार चीजें इंसान की बदनसीबी और गुमराही की निशानियाँ हैं।

मौत और माल की कमी से घबराना

दुनिया के बारे में



मौत और माल की कमी से घबराना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:“आदमी दो चीजों को नापसंद करता है (हालांकि दोनों उस के लिये बेहतर हैं) एक मौत को, हालाँ के मौत फितनों से बचाव है, दूसरे माल की कमी को, हालांकि जितना माल कम होगा उतना ही हिसाब कम होगा।”
[ मुस्नदे अहमद: 23113 ]



इस हदीस से यह शिक्षा मिलती है कि इंसान जिन चीज़ों को नापसंद करता है, उनमें भी उसकी भलाई हो सकती है, और यह अल्लाह की हिकमत और रहमत का हिस्सा है।


Saturday, February 18, 2023

दुनिया अमल की जगह हैं

 

दुनिया अमल की जगह हैं

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“हर ऐसे शख्स के लिए बड़ी खराबी है, जो ऐब लगाने वाला और ताना देने वाला हो, जो माल जमा करता हो और उस को गिन गिन कर रखता हो। वह ख्याल करता है के उस का माल हमेशा उस के पास रहेगा, हरगिज़ ऐसा नहीं है, (जबकि) उस को रौंदने वाली आग में फेंका जाएगा।”

[सूर-ए-हुमजह: 1ता4]

Sunday, February 12, 2023

ऐश व इशरत से बचना



ऐश व इशरत से बचना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने हज़रत मुआज़ (र.अ) को जब यमन भेजा तो फर्माया के

“नाज व नेअमत की जिंदगी से बचना इस लिए के अल्लाह के बंदे ऐश व इशरत करने वाले नहीं होते।”

[ मुसनदे अहम: २१६१३]

Tuesday, November 29, 2022

दुनिया अमल की जगह है




दुनिया अमल की जगह है

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

"दुनिया लम्हा ब लम्हा गुज़रती जा रही है और आखिरत सामने आती जा रही है और इस दुनिया में) दोनों के चाहने वाले मौजूद हैं, तुम को दुनिया के मुकाबले में आखिरत इख्तियार करनी चाहिए, क्योंकि दुनिया अमल की जगह है, यहां हिसाब व किताब नहीं है। और आखिरत हिसाब व किताब की जगह है, वहां अमल करने का मौका नहीं है।"

[कंजुल उम्माल : 43757, अन जाबिर (र.अ)]

Sunday, November 27, 2022

दो आदतें



दो आदतें

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

"जो शख्स दीनी मामले में अपने से बुलंद शख्स को देख कर उस की पैरवी करे और दुनियावी मामले में अपने से कम तर को देख कर अल्लाह तआला की अता कर्दा फजीलत पर उस की तारीफ़ करे तो अल्लाह तआला उसको ( इन दो आदतों की वजह से) साबिर व शाकिर लिख देता हैं।"

"और जो शख्स दीनी मामले में अपने से कमतर को देखे और दनियावी मामले में अपने से ऊपर वाले को देख कर अफसोस करे, तो अल्लाह तआला उस को साबिर व शाकिर नहीं लिखता।"

[तिर्मिज़ी: 2512. अन अदुल्लाह बिन अम्र (र.अ)]