दो आदतें
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
"जो शख्स दीनी मामले में अपने से बुलंद शख्स को देख कर उस की पैरवी करे और दुनियावी मामले में अपने से कम तर को देख कर अल्लाह तआला की अता कर्दा फजीलत पर उस की तारीफ़ करे तो अल्लाह तआला उसको ( इन दो आदतों की वजह से) साबिर व शाकिर लिख देता हैं।"
"और जो शख्स दीनी मामले में अपने से कमतर को देखे और दनियावी मामले में अपने से ऊपर वाले को देख कर अफसोस करे, तो अल्लाह तआला उस को साबिर व शाकिर नहीं लिखता।"
[तिर्मिज़ी: 2512. अन अदुल्लाह बिन अम्र (र.अ)]
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