हज व उमरह एक साथ करनारसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया: “हज और उमरह को एक साथ किया करो इस लिए के वह दोनों फक्र और गुनाहों को खत्म कर देते हैं, जैसा के भट्टी लोहे और सोने...
एक अहेम अमल की फजीलतरात में सूरह दुखान पढ़ना रसुलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : " जिस शख्स ने रात में " हा मीम अद दुखान " ( यानी सूट - ए - दुखान ) पढ़ी उसके लिए सत्तर...
बेवा और मिस्कीन की मदद करने पर सवाबरसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :“बेवा और मिस्कीनों की जरुरत पूरी करने वाला, अल्लाह के रास्ते के मुजाहिद की तरह या तो दिन में रोजा रखने वाले...
हज के दौरान गुनाहों से बचनारसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :“जिस ने हज के दौरान बीवी से न जिमा किया और न ही किसी छोटे बड़े गुनाह का इर्तिक़ाब किया, तो उसके पिछले सारे गुनाह माफ़...