Monday, September 16, 2024

हज व उमरह एक साथ करना


हज व उमरह एक साथ करना


रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:

 “हज और उमरह को एक साथ किया करो इस लिए के वह दोनों फक्र और गुनाहों को खत्म कर देते हैं, जैसा के भट्टी लोहे और सोने चांदी के मैल को खत्म कर देती है और हज्जे मबरूर (मक़बूल) का बदला तो सिर्फ जन्नत ही है।”

[तिर्मिज़ी: 810, अन इब्ने मसूद (र.अ)]



इस हदीस से हज और उमरह की अहमियत और उनकी रूहानी और दुनियावी फज़ीलत का पता चलता है, कि वे इंसान के गुनाहों और परेशानियों को दूर करने का ज़रिया हैं।

रात में सूरह दुखान पढ़ना



 एक अहेम अमल की फजीलत

रात में सूरह दुखान पढ़ना 

रसुलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : " जिस शख्स ने रात में " हा मीम अद दुखान " ( यानी सूट - ए - दुखान ) पढ़ी उसके लिए सत्तर हज़ार फ़रिश्ते इस्तिग़फ़ार करते हैं , दूसटी रिवायत में है के जिसने जुमा की रात सूटह दुखान पढ़ी उसके तमाम गुनाह माफ़ कर दिये जाते हैं । " 
[ तिर्मिजी : 2888-2889 ]




हदीस के अनुसार, रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फरमाया कि जो व्यक्ति रात में सूरह दुखान (हा मीम अद दुखान) पढ़ता है, उसके लिए 70,000 फरिश्ते इस्तिग़फ़ार (माफी की दुआ) करते हैं। एक दूसरी रिवायत में यह भी बताया गया है कि जिसने जुमा की रात सूरह दुखान पढ़ी, उसके सभी गुनाह माफ़ कर दिए जाते हैं।

यह हदीस तिर्मिज़ी में है: [2888-2889].


Sunday, August 25, 2024

बेवा और मिस्कीन की मदद करने पर सवाब


बेवा और मिस्कीन की मदद करने पर सवाब

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“बेवा और मिस्कीनों की जरुरत पूरी करने वाला, अल्लाह के रास्ते के मुजाहिद की तरह या तो दिन में रोजा रखने वाले और रात भर नमाज़ पढ़ने वाले की तरह है।”

[ बुखारी : ६००६ ]

हज के दौरान गुनाहों से बचना


हज के दौरान गुनाहों से बचना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जिस ने हज के दौरान बीवी से न जिमा किया और न ही किसी छोटे बड़े गुनाह का इर्तिक़ाब किया, तो उसके पिछले सारे गुनाह माफ़ कर दिए जाएंगे।”

[तिर्मिज़ी : 811, अन अबी हरेराह (ऱ.अ)]

एक दूसरी रिवायत में है के वह शख्स हज से ऐसा वापस होता है जैसा उस दिन था जिस दिन मां के पेट से निकला था।

[बुखारी : 1820, अन अबी हुरैरह (ऱ.अ)]