एक अहेम अमल की फजीलत
रात में सूरह दुखान पढ़ना
रसुलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : " जिस शख्स ने रात में " हा मीम अद दुखान " ( यानी सूट - ए - दुखान ) पढ़ी उसके लिए सत्तर हज़ार फ़रिश्ते इस्तिग़फ़ार करते हैं , दूसटी रिवायत में है के जिसने जुमा की रात सूटह दुखान पढ़ी उसके तमाम गुनाह माफ़ कर दिये जाते हैं । "
[ तिर्मिजी : 2888-2889 ]
हदीस के अनुसार, रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फरमाया कि जो व्यक्ति रात में सूरह दुखान (हा मीम अद दुखान) पढ़ता है, उसके लिए 70,000 फरिश्ते इस्तिग़फ़ार (माफी की दुआ) करते हैं। एक दूसरी रिवायत में यह भी बताया गया है कि जिसने जुमा की रात सूरह दुखान पढ़ी, उसके सभी गुनाह माफ़ कर दिए जाते हैं।
यह हदीस तिर्मिज़ी में है: [2888-2889].
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