Sunday, April 16, 2023

शब-ए-क़द्र की रातों में कसरत से इबादत में गुजारो




Laylatul-Qadar

उम्मुल मोमिनीन हज़रत आईशा रज़ि फरमाती हैं..

जब रमज़ान का आख़िरी अशरा आता तो नबी अपना तहबंद मज़बूत बाँधते यानी अपनी कमर पूरी तरह कस लेते और उन रातों में आप ख़ुद भी जागते और अपने घर वालों को भी जगाया करते थे।
SAHIH BUKHARI HADEES NO 2024


NOTE:- इसका मतलब शिर्फ़ खुद ही नही बल्कि अपने बच्चो और अपने घर वालो को इसके तरफ तवज्जो डालना चाहिए, और जागने से मुराद शब-ए-क़द्र की रातों में कसरत से इबादत में गुज़र देना है..!!

Monday, April 25, 2022

"शबे-क़द्र की फ़ज़ीलत कुरआन व हदीस की रौशनी में "




"शबे-क़द्र की फ़ज़ीलत कुरआन व हदीस की रौशनी में "

Al-Quran

हमने इस (क़ुरआन) को शबे-क़द्र में नाज़िल किया है। और तुम क्या जानो कि शबे-क़द्र क्या है? शबे-क़द्र हज़ार महीनों से ज़्यादा बेहतर है। फ़रिश्ते और रूह उसमें अपने रब के इज़्न से हर हुक़्म लेकर उतरते है। वो रात सरासर सलामती है, तुलुए-फ़ज्र तक।
 [97:1-5]

रमज़ान आया तो रसूल अल्लाह ने फ़रमाया:

ये महीना आ गया और इस में एक ऐसी रात है (शबे-क़द्र) जो हज़ार महीनों से बेहतर है, जो इस से मेहरूम रहा वो हर तरह के ख़ैर (भलाई) से मेहरूम रहा, और इस की भलाई से मेहरूम वही रहेगा जो (वाक़ई) मेहरूम हो। 
[Ibn e Maja 1644]

जो कोई शबे-क़द्र में ईमान के साथ और सवाब के हासिल करने की नियत से क़याम करता है उसके पिछले (गुजरे हुए) तमाम गुनाह माफ कर दिए जाते हैं। 
[Sahih Bukhari 1901]