Monday, September 16, 2024

मुसीबत के वक्त की दुआ

एक सुन्नत के बारे में


मुसीबत के वक्त की दुआ

जब कोई मुसीबत पहुँचे या उसकी खबर आए, तो यह दुआ पढ़ेः

इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलाही राजिऊन

तर्जमा : हम सब (मअ माल व औलाद हकीक़त में) अल्लाह तआला ही की मिल्कियत में है और मरने के बाद) हम सब को उसी के पास लौट कर जाना है।

[ सूर-ए-बकरह: 156 ]




इस आयत का मतलब यह है कि इंसान को मुसीबत या कठिनाई के वक्त अल्लाह की ओर लौटना चाहिए और यह याद रखना चाहिए कि इस दुनिया की हर चीज़ अल्लाह की है, और आख़िरत में सब उसी की ओर वापस जाना है। यह दुआ सब्र और अल्लाह के फ़ैसले को क़बूल करने की भावना को दर्शाती है।

Wednesday, November 16, 2022

रुखसत के वक्त मुसाफह करना


रुखसत के वक्त मुसाफह करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) जब किसी को रुखसत फर्माते तो,
“उस का हाथ अपने हाथ में ले लेते और उस वक्त तक (उस का हाथ) न छोड़ते,जब तक के वह आपके हाथ को खूद न छोड़ दे।”

[ तिर्मिजी: ३४४२ ]

Sunday, September 11, 2022

एहराम के लिये गुस्ल करना


एहराम के लिये गुस्ल करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने जब एहराम का इरादा किया तो गुस्ल किया।

[मुअजमुलकबीर लि तबरानी : 4729, अन जैद बिन साबित (र.अ)]

Thursday, September 8, 2022

एहराम से पहले खुशबु लगाना




एहराम से पहले खुशबु लगाना

हज़रत आयशा (र.अ ) फ़र्माती है के वह सरवरे कायनात (ﷺ) के एहराम से पहले और एहराम खोलने के बाद खुश्बू लगाया करती थीं जिस में मुश्क मिला होता था।"

[मिश्कात : 2540]