हज़रत अबू उबैदह बिन जर्राह (र.अ)
हजरत अबू उबैदह बिन जर्राह (र.अ) का अस्ल नाम आमिर बिन अब्दुल्लाह है। वह भी उन मुबारक हस्तियों में हैं जिन्हें रसूलुल्लाह (ﷺ) ने दुनिया में ही जन्नत की खुशखबरी दे दी थी। गज्व-ए-उहुद के दिन जब रसूलुल्लाह के चेहर-ए-मुबारक में खौद (लोहे की टोपी) की दो कड़ियां दाखिल हो गई थीं तो उसे अबू उबैदह ने अपने दांतों से पकड़ कर खींचा था जिसकी वजह से उन के सामने के दो दांत टूट गए थे।
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने उन के बारे में फर्माया : “हर उम्मत के लिए एक अमीन (अमानतदार) होता है और मेरी उम्मत के अमीन अबू उबैदह बिन जर्राह (र.अ) हैं।”
एक मर्तबा हज़रत उमर (र.अ) ने उनसे मुलाकात की तो देखा की ऊँट के कजावे की चादर पर लेटे हुए हैं और घोड़े को दाना खिलाने वाले थैले को तकिया बनाया है। हजरत उमर (र.अ) ने उन से फ़र्माया के आपने अपने साथियों की तरह मकान व सामान क्यों नहीं बना लिया, इस पर अबू उबैदह (र.अ) ने फ़र्माया: “कब्र तक पहुँचने के लिए यह सामान काफ़ी है।”
उनकी वफ़ात सन १८ हिजरी में मुल्के शाम में हुई।
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