Monday, September 16, 2024

जन्नत वालों का इन्आम व इकराम

आख़िरत के बारे में



जन्नत वालों का इन्आम व इकराम

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है
 “(जन्नती लोग) जन्नत में सलाम के अलावा कोई बेकार व बेहूदा बात नहीं सुनेंगे और जन्नत में सुबह व शाम उनको खाना (वगैरह) मिलेगा। यही वह जन्नत है, जिस का मालिक हम अपने बंदों में से उस शख्स को बनाएंगे जो अल्लाह से डरने वाला होगा।”

[सूर-ए-मरयम:62 ता 63]



कुरआन की यह आयत सूर-ए-मरयम (62-63) से ली गई है, जिसमें अल्लाह तआला जन्नत की विशेषताओं और उसमें मिलने वाली नेमतों का वर्णन करते हैं। आयत का भावार्थ है कि जन्नती लोग जन्नत में किसी भी प्रकार की बेकार या बेहूदा बातें नहीं सुनेंगे। उनके लिए केवल सलाम और शांति का संदेश होगा। इसके अलावा, उन्हें सुबह और शाम नियमित रूप से खाना और अन्य नेमतें मिलेंगी। यह जन्नत अल्लाह के खौफ रखने वाले (परहेज़गार) बंदों के लिए है, जिन्हें अल्लाह तआला इसकी नेमतों का मालिक बनाएगा।

इस आयत में जन्नत की शांति, नेमतें और उन लोगों का वर्णन है, जो अल्लाह से डरते हैं और उसके बताए हुए रास्ते पर चलते हैं।


कयामत का मंजर

आख़िरत के बारे में



कयामत का मंजर

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:“अगर (आखिरत के हौलनाक अहवाल के मुतअल्लिक) तुम्हें वह सब मालूम हो जाए जो मुझे मालूम है, तो तुम्हारा हँसना बहुत कम हो जाए और रोना बहुत बढ़ जाए।”
[ बुखारी : 6486 ]



इस हदीस से यह समझ में आता है कि आखिरत के डरावने हालात और अल्लाह की पकड़ की गंभीरता को समझने के बाद इंसान की दिली हालत बदल जाती है, जिससे उसकी हंसी-खुशी कम हो जाती है और अल्लाह का खौफ बढ़ जाता है।

Thursday, July 4, 2024

मुजरिमों के खिलाफ आज़ाह की गवाही


मुजरिमों के खिलाफ आज़ाह की गवाही

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:

“यही वह जहन्नम है, जिस का तुमसे वादा किया जाता था, आज तुम अपने कुफ्र की वजह से इस में दाखिल हो जाओ, आज हम उनके मुंह पर मोहर लगा देंगे और जो कुछ यह करते थे, उन के हाथ हमसे बयान कर देंगे और उनके पाँव उसकी गवाही देंगे।”

सूरह यासीन ६३ ता ६५ ]

Sunday, January 1, 2023

क़यामत के दिन खुश नसीब इन्सान




क़यामत के दिन खुश नसीब इन्सान

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

"कयामत के दिन लोगों में से वह खुश नसीब मेरी शफाअत का मुसतहिक होगा, जिस ने सच्चे दिल से कलिम-ए-तय्यबा "ला इलाहा इलल्लाह" पढ़ा होगा।"

[बुखारी: 19, अन अबू हुरैरह (र.अ)]