एक अहेम अमल की फजीलत
सूर - ए - इख्लास तिहाई कुरआन के बराबर है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : - " क्या तुम में से कोई यह नहीं कर सकता के एक रात में तिहाई कुरआन पढ़ ले ? " सहाब - ए - किराम ने अर्ज किया : भला कोई कैसे तिहाई कुरआन पढ़ लेगा ? आपने फर्माया : - सूरह इखलास तिहाई कुरआन के बराबर है । "
[ मुस्लिम : 1886 , अन अबी दरदा ( र.अ )]
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