इफ्तार बिस्मिल्लाह कह कर शुरू करे,
और इफ्तारी के बाद रोजा खोलने की ये दुआ पढ़ेः
ذَهَبَ الظَّمَأُ، وَابْتَلتِ العُروق،
وَثَبَتَ الْأَجْرُ إِنْ شَاءَ الله
जहबज-जमाउ वबतल्लती उरुकु
व सबतल-अजरु इंशा अल्लाह
प्यास खत्म हुई, रगे तर हो गयी और रोजे का सवाब इंशाअल्लाह पक्का हो गया।
सुनन अबू दाऊद, हदीस : 2357
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