"नफ़ील नमाज़ की अहमियत"
अल्लाह के रसूल ने फ़रमाया: मेरा बंदा फ़र्ज़ अदा करने के बाद नफ़ील इबादतें करके मुझसे इतना क़रीब हो जाता है में मैं उससे मुहब्बत करने लग जाता हूँ।
[Sahih Bukhari 6402]
मुस्लमान बंदे से क़यामत के दिन सबसे पहले जिस चीज़ का हिसाब लिया जाएगा वो फ़र्ज़ नमाज़ होगी। अगर उसने उसे कामिल तरीक़े से अदा की है तो ठीक है, वरना कहा जाएगा की देखो क्या उस के पास कुछ नफ़िल है?
अगर उसके पास नफ़िल नमाज़ें होंगी तो इस से फ़र्ज़ में कमी पूरी की जाएगी, फिर बाक़ी दूसरे फ़राइज़ आमाल के साथ ऐसा ही किया जाएगा।
[Sunnan Nisai Hadees No. 468 ]
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