ला इलाहा इल्ला अन्ता सुब' हानका इन्नी कुंतु मिनज़्ज़ालिमीन
तेरे सिवा कोई माबूद बरहक़ नहीं, तू पाक है, मैं ही ज़ालिम (ख़ताकार) हूँ।
नबी करीम (ﷺ) ने फ़रमाया :
ये ऐसी दुआ है कि जब भी कोई मुसलमान शख़्स इसे पढ़ कर दुआ करेगा तो अल्लाह सुब्हानुहू उस की दुआ क़बूल फ़रमाएगा।
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