नबी । सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया
" जिसने रोज़े की नीयत फ़ज़ से पहले नही कर ली , उसका रोज़ा नही हुआ ।
JAM e TIRMIZI HADEES NO 730
NOTE : - रोज़ा की नीयत दिल से करनी है नाकि ज़बान से अल्फ़ाज़ अदा करना है , नियत के माने दिल में इरादा करना है । जिस के दिल मे ये बात आगयी के वो सुबह रोज़ा रखेगा उस की नियत हो गयी
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